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Writer's pictureSrijan Pal Singh

सुपर वायरस : क्या हम तैयार है ?

मानव प्रजाति का सबसे खतरनाक शत्रु कोई धूमकेतु, या कोई ज्वालामुखी नहीं है। यह कोई परमाणु बम या मिसाइल भी नहीं है। मानवता को सबसे बड़ा खतरा वास्तव में एक अति सूक्ष्म प्राणी से है जिसे हम वायरस कहते हैं। वायरस को हम आंखों से नहीं देख सकते और उन्हें देखने के लिए हमें माइक्रोस्कोप की आवश्यकता होती है। एक वायरस 20 नैनोमीटर लंबा हो सकता है – इसका अर्थ हुआ कि 1 सेंटीमीटर की लंबाई में ५ लाख वायरस समा सकते हैं। वायरस इतने छोटे होते हैं की कभी-कभी वह बैक्टीरिया को भी बीमार बना सकते हैं। 

पिछली शताब्दी का सबसे खतरनाक वायरस स्पेनिश फ्लू था। १९१८ में पृथ्वी पर हर तीसरे व्यक्ति को यह वायरस ग्रस्त कर गया और 1 साल के अंदर इसने लगभग ५-१० करोड़ लोगों की जान ले ली ।

जनवरी 2020 की शुरुआत से कोरोना वायरस का नाम काफी चर्चा में रहा है। इसका पूरा नाम नॉवेल कोरोना २०१९ वायरस है। इसकी शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई और यह इस सदी का सबसे खतरनाक वायरसों में से है। इसकी कहानी वुहान की मांस मंडी से हुई विभिन्न प्रकार के जंगली जानवरों का मांस एक साथ बेचा जाता है। संभव है कि किसी चमगादड़ या पंगोलिन के मांस से शुरू हुआ है। पंगोलिन, चींटियां खाने वाला एक छोटा सा जानवर है जिसे चीन में दवाई के रूप में खाया जाता है।  कोरोना वायरस से अब तक लगभग २००० जानें जा चुके हैं और इसके पहले की गति इतनी तेज है कि चीन में अपने ही देश में 5 करोड़ लोगों को घरों में रहने के लिए आदेश दे दिया है।

एक बार फिर से चर्चा इस बात की है कि क्या कोरोना एक घातक सुपर वायरस बन जाएगा ?

जंगली पशु पक्षियों में लगभग 16 लाख भिन्न प्रकार के वायरस हैं जिनमें से हम अब तक मात्र 3000 के बारे में जानते हैं। यानी कि, ९९.८ प्रतिशत वायरसों के बारे में हमारी जानकारी नगण्य है। इनमें से कोई भी सुपर वायरस बन सकता है। 

उदाहरण के लिए स्वाइन फ्लू को लेते हैं। इस बीमारी का वायरस किसी पक्षी के इनफ्लुएंजा वायरस और साधारण मानव इनफ्लुएंजा वायरस के मिलने से बना। परंतु पक्षी का वायरस सीधे मानव में दाखिल नहीं हो सकता। यह दोनों वायरस पक्षी और मानव दोनों के संपर्क में आने वाले किसी सूअर के अंदर एक साथ पहुंच गए और साथ मिल गए। फिर यह नया वायरस मानव के अंदर पहुंचा और हमारी शरीर की इम्यूनिटी इस नए वायरस का मुकाबला करने के लिए सक्षम नहीं थी। एक मानव से यह वायरस दूसरे मानव को संक्रमित करता गया और देखते ही देखते स्वाइन फ्लू ने २००९ में २००,००० लोगों की जान ले ली। 

किसी वायरस को सुपर वायरस बनने के लिए तीन चीजें आवश्यक होंगे। 

पहला है म्यूटेशन यानी उत्परिवर्तन। 

इसका अर्थ है की सुपर वायरस दो अलग-अलग वायरसों का मिश्रण होता है  । इसका एक हिस्सा किसी अनजान जंगल में पनपने वाले वायरस का हो और दूसरा हिस्सा मानव को संक्रमित करने वाले किसी साधारण वायरस का। ऐसा करने से वह हमारी इम्यूनिटी तंत्र को निष्क्रिय कर सकता है और साथ ही साथ तेजी से फैल सकता है। 

दूसरी आवश्यकता है संक्रमण क्षमता। 

सुपर वायरस के पास तेजी से फैलने के कई तंत्र होते हैं। अधिकतर इनफ्लुएंजा वायरस हवा में लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं और इस प्रकार आसपास मौजूद सभी स्वस्थ लोगों में प्रवेश कर सकते हैं। यदि सुपर वायरस ऐसी जगह मौजूद हो जाता है जहां से भारी मात्रा में लोग इकट्ठा होते हैं और लंबी यात्राएं करते हैं तो वायरस के फैलने की संभावना काफी बढ़ जाती है। उदाहरण के तौर पर विभिन्न बड़े त्यौहार, बड़े मेले या फिर किसी प्रचलित खेल का वर्ल्ड कप। ऐसे मौकों पर लाखों-करोड़ों लोग अलग-अलग जगहों से आते हैं और फिर यात्रा करके वापस चले जाते हैं। सुपर वायरस के फैलने के लिए यह एक सुनहरा अवसर बन जाता है। 

सुपर वायरस  बनने की तीसरी आवश्यकता है ड्रग रेजिस्टेंस। 

यदि कोई वायरस प्रचलित दवाइयों के प्रति प्रतिरोध बना ले तो उसे इलाज करने के लिए एक नई दवा इजात करनी होगी। ऐसा करने में लंबा समय लग सकता है और वायरस को फैलने का अवसर मिल जाता है। 

सुपर वायरस एक ऐसी चुनौती है जिसका सामना हमें कभी ना कभी तो करना ही होगा। कई विशेषज्ञों का मानना है कि सवाल यह नहीं है कि क्या सुपर वायरस आएगा, यह है कि सुपर वायरस कब आएगा? 

अब प्रश्न यह भी है कि विश्व और भारत राष्ट्र ऐसे सुपर वायरस से निपटने के लिए कैसे तैयारी करें। 

जिस प्रकार से हम राष्ट्र के शत्रुओं से निपटने के लिए एक सदा सेना तैयार और सुसज्जित रखते हैं उसी प्रकार से हमें सुपर वायरस से निपटने के लिए एक बहुआयामी स्वास्थ्य प्रणाली और प्रोटोकॉल तैयार रखना होगा। इसमें हमें तेजी से हम लोगों को किसी बीमारी के लिए स्कैन करने के यंत्र, अस्पतालों में मरीजों को अलग से रखने की क्षमता, इंटरनेट के जरिए किसी भी संक्रमण के बारे में तेजी से जानकारी साझा करना और जनता को संक्रमण के बारे में जानकारी और जागरूक रखने की क्षमता बनाना है। 

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह आवश्यक है की मांस-मछली बाजारों पर कड़ी नजर रखी जाए, उन्हें शहरों से दूर रखा जाए और जंगली जानवरों के खाने पर प्रतिबंध हो । ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते विश्व के कई भागों में तापमान बढ़ रहा है और करोड़ों वर्ष पुरानी बर्फ पिघल रही है। इससे यह आशंका है कि लंबे समय से दबे हुए वायरस वापस सक्रिय हो सकते हैं। विश्व के कई भागों में जंगलों को तेजी से काटा जा रहा है या फिर वहां पर खनिजों को निकालने के लिए इंडस्ट्री बनाई जा रही है। ऐसे सभी स्थानों में मानव कई बार जंगली जानवरों के संपर्क में आ रहा है जिससे कि उन 16 लाख अनजान वायरसों के मानव संक्रमण की संभावना बढ़ रही है। ऐसे सभी स्थानों पर यह आवश्यक है कि सभी देश निगरानी रखें और मानव सभ्यता वैश्विक पर्यावरण बदलाव को रोकने के लिए कदम उठाएं। 

अब तक चीनी सरकार द्वारा कोरोना वायरस के बारे में जानकारी सरकारी फिल्टर से होकर आ रही है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कोरोना वायरस के बारे में उतना ही पता है जितना चीन बताना चाहता है। इसकी वजह से वायरस के इलाज और रोकथाम पर सवालिया निशान है। 

शायद इस दिशा में सबसे बड़ा कदम यह होगा कि हम कॉमन कोल्ड यानी कि साधारण सर्दी जुखाम के वायरस के वैक्सीन बना दे। यदि ऐसी वैक्सीन बन जाती है तो शायद सुपर वायरस का उत्पन्न होना भी असंभव हो जाए। विश्व भर में ऐसी वैक्सीन के लिए काफी काम हो रहा है परंतु अभी शायद यह उपाय कुछ समय दूर है। 

२०१८ में बिल गेट्स ने सुपर वायरस के प्रभाव का एक कंप्यूटर मॉडल तैयार किया। उनके मुताबिक एक सुपर वायरस 6 महीने के अंदर तीन करोड़ जाने ले सकता है और विश्व के अधिकतर देश ऐसे सुपर वायरस को नियंत्रण करने में प्रभावशाली नहीं होंगे। कोरोना वायरस ऐसे ही एक सुपर वायरस के आने के संकेत हो सकता है और मानव सभ्यता को ऐसी किसी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना होगा। 

As published in Amar Ujala on 24th February 2020.

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