अमूमन डॉ. कलाम अपने भाषणों में युवाओं को केंद्र में रखते थे और एक सवाल के साथ उसका समापन करते थे, ‘आप किस लिए याद रखा जाना पसंद करेंगे ?’ यह ऐसा असाधारण सवाल होता था जिसका जवाब ढूंढते-ढूंढते युवा छात्र ऊर्जा और सपनों से भर उठते थे | यह उन्हें उम्मीद या अपेक्षाएँ कायम करने, सोचने और उस पर काम करने के लिए प्रेरित करता था |
डॉ. कलाम के इस गुण से सबसे पहले मैं 2008 में रूबरू हुआ था , जब मैं भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद का छात्र था | डॉ. कलाम एक सवाल पर ही नहीं रुकते थे, हालांकि वो छात्रों को करियर के तौर पर अनेक विकल्प देते थे , जिनमें से हमें अपना जवाब चुनना होता था |
उनमें से कुछ विकल्प थे –
क्या आप विभिन्न जल क्षेत्रों को आपस में जोड़ने और देश की बाढ़ और सूखे की समस्या को खत्म करने के लिए याद रखा जाना पसंद करेंगे?
ऊर्जा खपत के मामले में हमारे देश को आत्मनिर्भर बनाने में योगदान के लिए आप याद रखा जाना पसंद करेंगे?
क्या आप ऐसे ख़ास काम के लिए याद रखा जाना पसंद करेंगे, जिससे सैकड़ों इकाइयाँ या उद्यम पैदा हो सकते हों?
क्या आप मजबूत भारत के निर्माण में 100 करोड़ भारतीयों का नेतृत्व करने के लिए याद रखा जाना पसंद करेंगे?
या आनेवाली पीढ़ी द्वारा जन- स्वास्थ्य प्रणाली में नए प्राण भरने के लिए याद रखा जाना पसंद करेंगे ?
2009 में जब मैंने उनके साथ काम करना शुरू किया, तो मैंने यह पाया कि स्कूलों और कॉलेजों में उनके अनेक वक्तव्यों में यह एक आम विषय हुआ करता था | वे अपनी बात खत्म करते हुए कहते, ‘ आज की रात, सोने से पहले, एक कागज़ लो या अपना लैपटॉप उठाओ | मैंने जो सवाल पूछा है, आप उसका जवाब लिखो और मुझे भेज दो | अगर आपका जवाब अच्छा रहा , तो मैं आपको अपनी एक तस्वीर और ऑटोग्राफ भेजूंगा !’
जिन-जिन छात्रों से वो मिले थे, उन्होंने कम से कम एक बार इस सवाल का सामना जरूर किया था लेकिन चूंकि मैं उनके साथ काम कर रहा था, मेरा इस सवाल से सामना अक्सर हो जाता था और हर बार मेरा जवाब सुनने के बाद वे कहते , ‘ओह ! तुम इस पर और काम करो | इसमें और भी चीजें जोड़ो’|
यह प्रक्रिया अगले छह महीने तक लगातार चली और मैं अपने उत्तर में सुधार के चरम पर पहुंच गया | अब मेरे पास विचारों की भी कमी पड़ने लगी थी |
एक बार केरल के रास्ते में डॉ. कलाम ने फिर अपना जाना-पहचाना सवाल मेरे ऊपर दागा | मैंने फैसला किया की इस बार मैं गेंद उन्हीं के पाले में डाल दूंगा | यह एक तरह से मेरा खुद को इस सवाल की ऊब से बचाने का ब्रह्मास्त्र था |
मैंने उनसे कहा ‘मैं आपके इस सवाल का कितनी बार जवाब दे चुका हूँ | इस बार आप मुझे इस सवाल का जवाब क्यों नहीं देते? आप किस लिए याद रखा जाना पसंद करेंगे ?’
मैंने देखा की वे मेरे सवाल को सुनकर मुस्कुराए|
मैंने अपनी बात जारी रखते हुए कहा ‘चलिए , मैं आपके लिए इस सवाल को और आसान बना देता हूँ | क्या आप एक मिसाइलमैन, परमाणु वैज्ञानिक , रॉकेट इंजीनियर, भारत रत्न, पीपल्सप्रेजिडेंट या एक लोकप्रिय लेखक के तौर पर याद रखा जाना पसंद करेंगे?’
मैंने सोचा की इन विकल्पों में मैंने उनकी समस्त उपलब्धियों को समाहित कर दिया है, लेकिन मैं गलत था |
‘तुम्हारे दिए सारे विकल्प गलत हैं ,’ डॉ कलाम ने मुझे चौंकाते हुए कहा | मैंने एक बार फिर अपने दिमाग पर पूरा जोर डालते हुए सारे तथ्य याद करने का प्रयास किया, लेकिन मैं अब भी यह नहीं समझ पाया था की उनके जीवन में ऐसा कौन सा पहलू था, जो मुझसे छूट रहा था | उन्होंने अगले ही वाक्य में मेरे संशय को दूर कर दिया |
‘मैं तुम्हारी बताई इन सारी चीजों के लिए याद नहीं रखा जाना चाहूँगा | मैं एक शिक्षक के तौर पर ही याद रखा जाना चाहूँगा. ‘
उस दिन मुझे यह एहसास हुआ कि मैंने वाकई में उनके बारे में सबसे स्वाभाविक तथ्य को लेकर चूक कर दी थी | सन 2008 में, डॉ कलाम सबसे पहले मुझसे मेरे शिक्षक के रूप में ही मिले थे और इसी के जरिए उन्होंने मेरे जीवन में बेहद अहम भूमिका निभाई थी और ऐसे ही उन्होंने मेरे जैसे बहुत से लोगों के साथ किया था | मैंने अपना सवाल यहीं ख़त्म नहीं किया |
एक आखिरी सवाल बच गया था, जो मैं उनसे पूछना चाहता था, ताकि मुझे उनके इस सबसे प्रिय सवाल का जवाब मिल सके |
‘मुझे असल में कैसे पता चलेगा कि मैं किस चीज के लिए याद रखा जाना चाहता हूँ?’ मैंने पूछा |
तब वे मुस्कुराये और बोले, ‘इस बारे में कुछ भी कहना कठिन है ; क्योंकि सच्चा जवाब विकसित होता रहता है , लेकिन मैं इस बारे में तुम्हें कुछ ज़रूर बताना चाहूँगा | एक डायरी या नोटबुक लो | उसे कोई नाम दो, जो तुम्हारे दिल के बेहद करीब हो, कुछ ऐसा जो तुम्हें याद दिलाता रहे कि तुम क्या बनना चाहते हो | इसमें हर वह चीज लिखने कि आदत बनाओ , जिसके बारे में तुम सीखना चाहते हो, हर वह चीज, जो तुम अपने लक्ष्य प्राप्त के दिशा में करते हो | इसके अलावा इसमें उन चीज़ों के बारे में भी लिखो, जो तुम्हे परेशान करती है और हर वह छोटी चीज़ , जो तुम अपने दीर्घकालीन लक्ष्य प्राप्त के लिए करते हो | उन छोटे-छोटे क़दमों या प्रक्रियाओं को भी दर्ज करो जिनका सामना तुम अपने लम्बे सफर में करोगे | खासतौर पर उस समय का उल्लेख ज़रूर करना, जब तुम विफल हुए थे, ताकि तुम्हें अपनी राह के रुकावटें याद रहें | उन लोगो के बारे में भी लिखना मत भूलना , जिन्होंने तुम्हें गिरने पर उठाया था – उनके प्रति हमेशा आभारी रहना | आने वाले वर्षों में, जब भी तुम इस डायरी के पन्ने पलट कर देखेंगे, तो मुस्कुराओगे| संभव है कि तुम्हारा जीवन भी दूसरों को प्रेरित करने में सक्षम हो जाए |’
उस बातचीत के बाद मैंने सबसे पहला काम यही किया कि एक बड़ी नोटबुक खरीदी | मैंने उसमें अपने सपनों और अपेक्षाओं के बारे में लिखा | उस डायरी को मैंने उस शख्स का नाम दिया, जो मेरे दिल के बेहद करीब था | उस डायरी को मैंने ‘’कलाम डायरी’ बुलाना शुरू किया |
As published in the national edition of Punjab Kesri on 15th October, 2019.
Comments